इंसान के पास जो होगा वही वो दुनिया को देगा। यदि आप के पास गुस्सा और द्वेष है तो आप दुनिया को भी वही गुस्सा और द्वेष ही देंगे। यदि आप के पास खुशी और दौलत है तो आप भी दुनिया को भी वही देंगे।
बहुत से लोगो के पास एंग्जायटी और डिप्रेशन के एक्सपीरियंस है जो वो एक दूसरे को देते है। इसमें आप की गलती नही है ये तो यूनिवर्स का नियम की आप के पास जो होगा आप दुनिया को वही देंगे।
आपनी अपनी समझ के हिसाब से जो जानकारी आप के पास है के आदान प्रदान से किसी की कोई परेशानी का समाधान नही निकलता बल्कि लोग मिस गाइड होते हैं। हाँ इतना जरूर है कि आप अकेले नही है जिसे स्ट्रेस, एंग्जायटी या डिप्रेशन है। मुझे भी था 2002 से 2004 तक पर आज मैं ठीक हूँ।
स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन या कोई भी साइकोसोमेटिक कंडीशन कोई बीमारी नही है। ये एक मेन्टल स्टेट है जो आपको एक अनप्लेसेन्ट फीलिंग में डाल देती है। जिसे आप एंग्जायटी कहते है। जिसमे कभी आप को घबराहट होती है तो कभी शॉर्टनेसऑफ ब्रेथ, किसी को उल्टी जैसा होता है तो कभी चक्कर आते है कभी पसीना आता है तो कभी डर लगता है, कभी पेट खराब रहता है तो कभी कॉन्स्टिपेशन वो भी उन चीजो से जो कभी हुई ही नही है और ना होगी।
इन सब का कारण है आप के पुराने नेगेटिव बिलीफ,आप के बुरे एक्सपीरियंस,आप की बुरी यादें जिनमे आप कभी दुखी थे,किसी ने आप को धोखा दिया था,बचपन का कोई ट्रॉमा, या आप ने किसी को खोया था। जिनको आपके माइंड ने Deletion, Distortion, और Gernalization के फ़िल्टर की प्रोसेस बाद जो बुरी यादो के बचे हुए अवशेष है।
अगर आप अपनी पुरानी जिंदगी में झांक कर देखेगे तो पाएंगे कि आप को भी ये चेलेंज भी तभी से आयेगे होंगे जब आप की जिन्दजी में ऐसी कोई घटना घटी होगी। जो आप के सबकोंसियस माइंड में आपकी बुरी यादो के रूप में पड़ी हुई है। ये यादे उस मरे हुए चूहे की तरह तब तक बदबू मारती रहेगी जब तक उस चूहे को घर से बाहर ना निकल दे। बिना निकाले आप चाहे कितना भी रूम फ्रेशनर छिड़क लेना बदबू आयेगी ही आयेगी। अगर आप अपने अंतर्मन देखेगे तो पायेंगे कि कोई ना कोई ऐसी चीज चाहे वो आपके अंदर की हो या आपके बाहर की, जैसे कोई विचार, कोई आवाज, कोई फीलिंग, कोई दृश्य होगे जो आपके इस व्यवहार को ट्रिगर करते है। उन बुरी घटनाओं से बाहर निकले के लिये कोई शराब का सहारा लेता है तो कोई दूसरे किसी तरह के नशे का पर वो चीजे उतनी ही ज्यादा याद आती है और बढ़ती जाती है। क्योंकि वो आप के माइंड में है। साईकोटिक या एन्टी डिप्रेसेंट दवाइयां आप के रेस्पांस सिस्टम को तो स्लो कर देती है। पर जो कारण है वो आपके माइंड में वैसे के वैसे रहते है। जैसे ही उन कारणों को ढूंढ के खत्म कर दिया जाये तो आप पहले से भी बेहतर जिन्दगी जी सकते है।
अब आपके पास दो रास्ते है?
पहला रास्ता जो अपने आप, आप खुद तय करने वाले है जिसमे टाइम भी ज्यादा लगेगा, पैसा भी ज्यादा लगेगा और एनर्जी भी ज्यादा लगेगी। ओर ये भी नही मालूम कि रिसिल्ट्स कैसे रहेंगें?
दूसरा रास्ता जिसमे मैं आप के साथ रहूंगा और आपकी मदद करूँगा। जसमे आप का टाइम मनी ओर एनर्जी तीनो ही काम लगेंगे और रिजल्ट भी मिलेंगे।
अब जिन्दजी आपकी है और दिसिज़न भी आप का है।आज ही बुक करें अपना पेरसनलाइज काउंसलिंग सेशन जो आप की जिंदगी को एक नया मोड़ दे सकता है। mindguruamit.in / mindguruamit.com